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बुरा क्यों न मानें, होली है तो क्‍या... !

होली रंगों का त्योहार है, लेकिन यकीन करो बहुत गंदा त्योहार है. मैं औरत हूं इसलिए इसे गंदा कहने में जरा भी झिझक नहीं होती. वो इसलिए, कि कुछ लोगों के लिए रंगों का ये त्योहार अपने मन की कुंठाओं को शांत करने का त्योहार होता है.

ये कुछ लोग आपके पड़ोसी, दोस्त, रिश्तेदार, देवर, भाई के दोस्त, पति के दोस्त कोई भी हो सकते हैं. पर हां, मंसूबे सबके एक ही, कि जबरदस्ती करके किसी भी तरह बस लड़की के गालों पर रंग लगा दें. और ऐसा भला कभी होता है कि गालों पर लगा हाथ कहीं और न फिसले? पर जबरदस्ती करते वक्त एक बात ये कहना कभी नहीं भूलते कि 'बुरा न मानो होली है'
सदियों से यही होता आया है, चूंकि त्योहार है, इसलिए बुरा मानने वाली बात पर भी महिलाएं चुप रहती हैं, लेकिन गहरे रंगों और गंदी नियत से लिपटे उन गंदे हाथों का स्पर्श वो उम्रभर नहीं भूलतीं. 'बुरा न मानो होली है' ये डायलॉग शायद ऐसे ही किसी इंसान के दिमाग की उपज होगा जो आज 'नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट' के रूप में ये मर्द इस्तेमाल करते हैं.
ये वीडियो देखा तो अहसास हुआ कि होली को गंदा करते आ रहे इन कुछ लोगों को हमें ये कहने में कितना समय लग गया कि 'हम बुरा मानेंगे'. होली पर लड़की का उत्पीड़न कैसे करें, ये तंज है 'स्कूप-व्हूप' का जो उन्होंने इस वीडियो के माध्यम से ऐसे ही लोगों के लिए किया है, जो अपने इरादों को अंजाम देने के लिए  साल भर का इंतजार करते हैं और बड़ी बेशर्मी के साथ कहते हैं कि 'बुरा न मानो होली है'. साथ ही एक हैशटैग भी दिया है #Buramaano और होली को गंदा होने से रोको, जिसे अब हर लड़की को कहना ही होगा.

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